लुट जाएगी दौलत,छिन जायेगा ओहदा
सम्मान को ठेस लगेगी
पर पिता के प्यार,मां के दुलार की
यादें कौन छीनेगा .
बिखर जायेंगे रिश्ते,बिछड़ जायेंगे अपने
चेहरे बदल जायेंगे
पर नानी के आँगन में, बच्चों की गोल पंगत की
यादें कौन छीनेगा.
समाज की बेड़ियाँ जकड लेंगी, रिश्तों की कसमें रोक लेंगी
कर्त्तव्य पथ धुन्धलाएगा
पर बचपन में तितलियों के पीछे स्वछंद भागनें और पहली बारिश में निश्चिन्त नहाने की
यादें कौन छीनेगा
काल का चक्र पूरा होगा,जहां खड़ा था तू कोई और खड़ा होगा
सासें बोझिल हो जाएँगी,कदम लड्खादायेंगे
पर जिसका तू था नायक,जीवन के उस चित्रपट की
यादें कौन छीनेगा.
विशद