Saturday, July 28, 2012

Main Aisa kyun hoon

मैं ऐसा क्यूँ हूँ ?मैं ऐसा क्यूँ हूँ ?
छोटे बच्चे इतने सारे ,सभी अपनी दादी,नानी के दुलारे ,
सब कहें उन्हें आँखों के तारे,
पर मैं अपनों की अक्सर नम आँखों का कारण क्यूँ हूँ ?


बड़े-बड़े सपनें सब देखें ,
डाक्टर,इंजिनीअर,पायलट बनेगा
अपना मुन्ना सब सोचें
पर मैं अपनों की शुन्य ताकती आँखों का कारण क्यूँ हूँ?

में भी चाहूं खेलना,कूदना और बारिश में नहाना,
दोस्त बनाना, कट्टी करना.
पर बच्चों के इस शोर भरे मेले में,
मैं ख़ामोशी का कारण क्यूँ हूँ.

दया, उपेक्षा, कौतुहल, किल्लोल
हर दिन इन अनेक भावों में ,
दुनिया के आइने में अपने आप को खोजता
पर अंततः फिर मस्त और खुश, अपनी ही धुन में क्यूँ हूँ ?

मैं ऐसा  ही हूँ ,मैं ऐसा ही हूँ।

विशद

I believe that the so called "special children" are not "special" because of their limitations but because of their extraordinary courage and fortitude.